द्वन्द्व ः नेपाली समाजक प्रभाव विवेचना
द्वन्द्वसँ पहिने
पितृसत्तात्मक स्वरूपमे विकास भेल समाज महिलाकेँ प्रायः दोसर दर्जाक नागरिक जकाँ व्यवहार करैत अछि । नेपाली समाज सेहो ओही प्रवृत्तिक अपवाद नहि अछि । कत्तौ प्रथाक नाममे, कत्तौ संस्कारक नाममे, कत्तौ आस्थाक कारणसँ महिलाक उपर हिंसा, दुव्र्यवहार आ असमान व्यवहार होइत आबि रहल अछि । कत्तौ एक गरिब या विपन्न परिवारक महिला, ओकरा पक्षमे आवाज उठौनिहार कियो नहि रहल साधारण महिलाकेँ डाइनक आरोप लगा कऽ पिटपाट आ हिंसा कएल जाइत अछि । (११)
कत्तौ रजस्वलाक समयमे अथवा प्रसुति भेल समयमे महिलाके अछुत कहि कऽ गोहाली (मालघर)मे रहबाक लेल बाध्य कएल जाइत अछि । छाउपडी प्रथाक नाममे ओकरासभकेँ गोहाली (मालघर)मे गोबर, पुआर र कीरा मकौरासँग सुतबाक लेल सेहो बाध्य रहैत अछि । (१५)
कत्तौ विधवाकेँ अपसकुन मानि धार्मिक कार्यमे सहभागी होबयसँ रोक लगाओल जाइत अछि, ओहि महिलाकेँ पतिविहीन, साहाराविहीन कहि कऽ हतोत्साह भएल जाइत अछि । (१३)
छुवाछुत आ जातीय विभेदक शिकारसँ सेहो महिले बेसी ग्रसित होइत अछि । तथाकथित उपरक्का जातिक लोकसभ ओहन महिलाकेँ सार्वजनीक धारा, इनारमे पानी भरए नहि दैत अछि । मन्दिरसहितक सार्वजनिक स्थलसब सेहो महिलाक पहँुचसँ बाहिरक बात रहैत अछि, केवल जाति आ जन्मक आधारमे । (१)
यौनजन्य क्रियाकलापक लेल वएहसभ बेचल जाइत अछि (१२) ।
पारिवारिक हिंसा, श्रीमानक पिटाई आ अश्लिल गालीगलौजक शिकार वएहसभ बनैत अछि, (९)
न्यायक माग कएला पर अपन पदीय दायित्व नहि बुझएबला पुलिससँ असहयोग आ अपमानजनक व्यवहार सेहो ओकरासभकेँ भोगए पड़ैत अछि । (१०) ।
पढब, काज करब, आत्मनिर्भर बनब, सपनाकेँ त्यागि पारिवारिक दबाबमे आब िकऽ कम्मे वयसमे ओकरासभकेँ विवाह करए पड़ैत अछि । विवाह कएनिहार पुरुषक आचरण, वयस, पेशा, विचारक विषयमे बुझबाक अधिकार महिलाकेँ नहि रहैत अछि । (२)
विवाहसँ पहिने शारीरिक सम्पर्कसँ गर्भ रहल अवस्थामे अन्तरजातीय सम्बन्धक कारणसँ विवाह नहि भऽ सकत कहैत पुरुष ओहि महिलासभकेँ गर्भपतनक लेल बाध्य एल जाइत अछि । महिला सेहो अपन शरीरक विषयमे स्वयं निर्णय नहि कऽ पबैत अछि । (४)
बेटीकेँ शिक्षासँ बेसी घर–व्यवहारक बात सिखब जरुरी रहैत अछि, परिवारकेँ खुश राखलासँ जीवन सुखी रहैत अछि मान्यतासँ ग्रसित अभिभावक महिलाकेँ शिक्षासँ बञ्चित कएल जाइत अछि । भैया, भाए स्कूल जाइत अछि तऽ ओ घरक कान सम्हारएमे व्यस्त रहैत अछि (६) ।
स्कूल जाएबला बचियासभ सेहो घरक काज कएलाकबादे स्कूल जा सकैत अछि (८)
ओसभ स्कूलमे सेहो विभेदकेँ सहैत अछि । पढाईमे, खेलकूदमे, अतिरिक्त क्रियाकलापमे, नेतृत्वदायी भूमिकामे छात्रासभ पाछु कएल जाइत अछि । (७)
कार्यालयमे पुरुष सहकर्मीक तुलनामे, महिला बेसी परिश्रम आ काज कएला बादो पदोन्नति नहि कएल जाइत अछि । ओतबा वा कम काज कएनिहार पुरुष सहकर्मीक पदोन्नति भऽ जाइत छै । कार्यालयमे होबएबला अन्य प्रकारक हिंसा तऽ अछिए । (३)
महिला उपर श्रम शोषण सेहो होइत अछि । समान काजक लेल ओकरासभकेँ पुरुषक तुलनामे कम पारिश्रमिक देल जाइत अछि । (१४)
गर्भावस्थामे पोषण, न्युनतम आहार आ स्याहार सेहो कतेको महिलाकेन् नहि भेटैत अछि । प्रजनन स्वास्थ्य सेवा ओकरासभक पहुँचसँ दूरक बात भऽ गेल अछि । (५)
महिलासभकेँ बेटी होइतो दुःख सहय पड़ैत अछि, पत्नि होइतो दुःखे अछि आ माए भेलाक बादो दुःखे–दुःख रहैत अछि ।
कत्तौ रजस्वलाक समयमे अथवा प्रसुति भेल समयमे महिलाके अछुत कहि कऽ गोहाली (मालघर)मे रहबाक लेल बाध्य कएल जाइत अछि । छाउपडी प्रथाक नाममे ओकरासभकेँ गोहाली (मालघर)मे गोबर, पुआर र कीरा मकौरासँग सुतबाक लेल सेहो बाध्य रहैत अछि । (१५)
कत्तौ विधवाकेँ अपसकुन मानि धार्मिक कार्यमे सहभागी होबयसँ रोक लगाओल जाइत अछि, ओहि महिलाकेँ पतिविहीन, साहाराविहीन कहि कऽ हतोत्साह भएल जाइत अछि । (१३)
छुवाछुत आ जातीय विभेदक शिकारसँ सेहो महिले बेसी ग्रसित होइत अछि । तथाकथित उपरक्का जातिक लोकसभ ओहन महिलाकेँ सार्वजनीक धारा, इनारमे पानी भरए नहि दैत अछि । मन्दिरसहितक सार्वजनिक स्थलसब सेहो महिलाक पहँुचसँ बाहिरक बात रहैत अछि, केवल जाति आ जन्मक आधारमे । (१)
यौनजन्य क्रियाकलापक लेल वएहसभ बेचल जाइत अछि (१२) ।
पारिवारिक हिंसा, श्रीमानक पिटाई आ अश्लिल गालीगलौजक शिकार वएहसभ बनैत अछि, (९)
न्यायक माग कएला पर अपन पदीय दायित्व नहि बुझएबला पुलिससँ असहयोग आ अपमानजनक व्यवहार सेहो ओकरासभकेँ भोगए पड़ैत अछि । (१०) ।
पढब, काज करब, आत्मनिर्भर बनब, सपनाकेँ त्यागि पारिवारिक दबाबमे आब िकऽ कम्मे वयसमे ओकरासभकेँ विवाह करए पड़ैत अछि । विवाह कएनिहार पुरुषक आचरण, वयस, पेशा, विचारक विषयमे बुझबाक अधिकार महिलाकेँ नहि रहैत अछि । (२)
विवाहसँ पहिने शारीरिक सम्पर्कसँ गर्भ रहल अवस्थामे अन्तरजातीय सम्बन्धक कारणसँ विवाह नहि भऽ सकत कहैत पुरुष ओहि महिलासभकेँ गर्भपतनक लेल बाध्य एल जाइत अछि । महिला सेहो अपन शरीरक विषयमे स्वयं निर्णय नहि कऽ पबैत अछि । (४)
बेटीकेँ शिक्षासँ बेसी घर–व्यवहारक बात सिखब जरुरी रहैत अछि, परिवारकेँ खुश राखलासँ जीवन सुखी रहैत अछि मान्यतासँ ग्रसित अभिभावक महिलाकेँ शिक्षासँ बञ्चित कएल जाइत अछि । भैया, भाए स्कूल जाइत अछि तऽ ओ घरक कान सम्हारएमे व्यस्त रहैत अछि (६) ।
स्कूल जाएबला बचियासभ सेहो घरक काज कएलाकबादे स्कूल जा सकैत अछि (८)
ओसभ स्कूलमे सेहो विभेदकेँ सहैत अछि । पढाईमे, खेलकूदमे, अतिरिक्त क्रियाकलापमे, नेतृत्वदायी भूमिकामे छात्रासभ पाछु कएल जाइत अछि । (७)
कार्यालयमे पुरुष सहकर्मीक तुलनामे, महिला बेसी परिश्रम आ काज कएला बादो पदोन्नति नहि कएल जाइत अछि । ओतबा वा कम काज कएनिहार पुरुष सहकर्मीक पदोन्नति भऽ जाइत छै । कार्यालयमे होबएबला अन्य प्रकारक हिंसा तऽ अछिए । (३)
महिला उपर श्रम शोषण सेहो होइत अछि । समान काजक लेल ओकरासभकेँ पुरुषक तुलनामे कम पारिश्रमिक देल जाइत अछि । (१४)
गर्भावस्थामे पोषण, न्युनतम आहार आ स्याहार सेहो कतेको महिलाकेन् नहि भेटैत अछि । प्रजनन स्वास्थ्य सेवा ओकरासभक पहुँचसँ दूरक बात भऽ गेल अछि । (५)
महिलासभकेँ बेटी होइतो दुःख सहय पड़ैत अछि, पत्नि होइतो दुःखे अछि आ माए भेलाक बादो दुःखे–दुःख रहैत अछि ।
द्वन्द्वकालीन समय
तत्कालीन नेकपा माओवादी जनयुद्धक नाममे सशस्त्र विद्रोह सुरु कएलाकबाद नेपाली जनता आन्तरिक द्वन्द्वसँ ग्रसित छल । ओ द्वन्द्वक कारणसँ नेपाली महिलासभ ओहिसँ पहिने कहियो निर्वाह नहि कएने, निर्वाह नहि कऽ सकल नया भूमिकासभकेँ निर्वाह करए पड़ल । सँग–सँगे द्वन्द्वसँ महिलासभककेँ अन्य विभिन्न प्रकारसँ सेहो असर पड़ल छल । द्वन्द्वसँ महिला र बालबच्चाकेँ एहि कारणे मात्र बेसी असर नहि करैत अछि कि पितृसत्तात्मक सामाजिक संरचनामे घरक भितर रहल महिलाकेँ एकाएक काजक जिम्मेवारीक अधिक भार पड़ैत अछि मुदा एहि कारणसँ बेसी असरदायी होइत अछि कि ओसभ आओर बेसी हिंसाक उल्लंघनक शिकार भऽ जाइत अछि ।
द्वन्दक समयमे महिलासभपर राज्य तथा गैरराज्य दुनु पक्षसँ यौनजन्य हिंसा आ दुव्र्यवहारक अनगिन्ती घटनासभ भेल । एहन घटनासब सर्वसाधारणमे त्रास आ आतंक फैलाबएमे मद्दत कएने छल । (१६)(१७)
अपन काज कऽ रहल, बजार जा रहल, बजारमे किन–बेज कऽ रहल सर्वसाधारण महिलापर सेनाद्वारा पिटपाट तथा हातापाइ भेल घटनासभ बहुत बेसी अछि । द्वन्द्वमे सामेल नहि भेल आ अपन पेशा कऽ बाँचि रहल साधारण जनमानसमे सेहो हरेक पल भय आ संत्राससँ बितल । (१८)
द्वन्द्वको समय धेरै महिलालाई थुनामा राखियो, यातना दिइयो अनि हत्या गरियो । हिरासतमा राखिएका महिलामाथि सुरक्षा फौजले निर्मम यातना दिएको, (२०)
अपन पेशागत धर्म निर्वाह करैत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करबाक लेल विभिन्न स्थानमे गेल स्वास्थ्यकर्मीसभकेँ सुराकीक नाममे राज्य तथा गैरराज्य दुनु पक्षसँ आक्रमण भेल छल । (१९)
बलात्कृत युवतीद्वारा पुलिसमे निवेदन देला पर उल्टे ओकरा अपमान आ अश्लील व्यवहार सहय पड़ल बहुतो घटनासभ भुक्तभोगीक मानसपटलमे अखनो ताजे अछि । (२९)
नेपालक द्वन्द्वमे बहुतो महिलासभ लडाकुक भूमिका निर्वाह कएने अछि, ओहिमेसँ कतेको महिला स्वेच्छासँ लडाकु बनल, कतेको धम्कीक त्राससँ जबरजस्ती प्रवेश कएने बातकेँ निश्चित नहि कएल गेल अछि । (३१)
गोहाली (मालघर)क लगमे दू तरफा भीडन्त भेल समयमे सेहो रजस्वला भेल महिला ओहि गोहाली (मालघर)मे रहबाक लेल बाध्य कएल गेल छल (२४) ।
नहि चाहियो कऽ लडाकुकेँ अपन घरमे खाना खुवाएब वा रहए देबाक लेल बाध्य कएलासँ सेहो महिलासभकेँ कष्ट उठाबए पड़ल अछि । (२२)
अपने आँखिक आगू पतिकेँ गोली मारि कऽ हत्या कएल गेलासँ कतेको महिला बाजय नहि सकल अछि, प्रतिवाद नहि कऽ सकल अछि (२३) ।
छोट बच्चाबच्चीक अभिभारा असगर उठाबउमे ओकरासभकेँ बहुत दिक्कत भेल । (२६)
श्रीमानक अपहरण कऽ, बेपत्ता कऽ वा मारि कऽ ओकरासभक आवाजकेँ मौन रखबाक लेल बाध्य कएल गेल । पतिक हत्याक बेरमे कियो गर्भवती छल, असगरे गर्भक बच्चाकेँ स्याहार कऽ अपन जीवनकेँ आगू बढाएब ओहन महिलासभक लेल अत्यन्त कष्टकर छल । (२१)
ओकरसभक घरकेँ ध्वस्त कएल गेल, सन्तान आ स्यवमकेँ कत्तौकेँ नहि राखल गेल । (२७)
श्रीमान बेपत्ता भेल कारणसँ जमानी नहि देबए सकबाक कारणसँ ओहन महिला ऋणसँ सेहो वञ्चित रहल । (२५)
बहुतो महिलासभ सन्तानसहित लगक शहर या राजधानीदिश विस्थापित भेल । बेपत्ता कएल गेल या मारल गेल पतिक याद ओहि महिलासभकेँ सतबैत रहल । (२८)
विस्थापितक नाबालक सन्तान दोसर गोटेकक घरमे या होटलमे काज करबाक लेल बाध्य छल । आन बच्चाबच्चीसभकेँ स्कूल जाइत देखलासँ ओसभ टकटक्की लगौने रहैत छल । (३०)
आ कहियोकाल महिलासभ अपन अपन सम्बन्धितक अवस्था सार्वजनिक करबाक लेल आवाज सेहो उठबैत छल । (३२)
परिस्थिति महिलाकेँ आत्मनिर्भर बनए प्रेरित करैत अछि । ओसभ अपने कमाएब आ घर व्यवहार चलाएब, बेटाबेटीकँे लालनपालन करब, पढाएब पड़ैत छल । ई जिम्मेवारीसँ एकदिश महिलाकेँ सशक्त बनौलक तऽ दोसरदिश स्वतन्त्र । आन्तरिक द्वन्द्वक समयमे कमो संख्यामे महिलासभ सबल भूमिकाक रूपमे देखार भेल । परम्परागत प्रचलनसभक विरुद्ध विद्रोह करैत ई महिलासभ लडाकुक रूपमे, अधिकारकर्मीक रूपमा, शान्तिकर्मी, सैनिक, पत्रकार, कानून व्यवसायीक रूपमे विविध क्षेत्रमे प्रवेश कऽ महिलाक आवाजकेँ उँच करैत समानताक लेल लड़ाई कएलक । (३३)
आवाजविहीनसभक आवाज बनबाक लेल पत्रकारिता पेशा अपनौने महिलासभ लडाकु महिलाक आवाजक सुनवाईक लेल अन्तर्वार्ता लेलक आ सञ्चार माध्यमसँ ओहि महिलासभक आवाजकेँ प्रसार कएलक । (३४)
द्वन्द्वपीडित महिला र बालबच्चाक लेल सहायता उपलब्ध करएबाक बास्ते महिला संघ–संगठनसभ खुलल आ ओहन संघ–संगठनसभ महिला तथा बालबच्चासभकेँ सहयोग उपलब्ध करौलक, (३५) (३७) (३६) ।
लाल टीका (लाल सेनुर) अभियान सकारात्मक परिवर्तनक एक महत्वपूर्ण उदाहरण अछि, जकर शुरुवात द्वन्द्वेक क्रममे भेल छल । ई अभियान विधवा महिलासभकेँ लाल टीका (लाल सेनुर) आ कपडा पहिरा कऽ ओकरासभक आत्मबलकेँ बढ़एबाक काज कएलक । पतिक मृत्यु बाद लाल नहि पहिरबाक नेपाली परम्परा विधवाकेँ अलक्षण, अपसकुन मानैत अछि । लाल वस्त्र ओहन महिलासभक पहिचानकेँ बदलि देलक आ आत्मबल सुदृढ करबाक काजमे सहयोग कएलक । (३८)
आ सबसँ महत्वपूर्ण बात ई जे, जातीय विभेद सेहो बहुत हदधरि कम भेल । दलित महिलासभ सार्वजनिक धारा, इनारक प्रयोग करए लागल । (३९)
द्वन्द्वक समयमे बहुतो घर रिक्त भेल, परिवार टुटि गेल, समस्यासभ आओर बेसी बढ़ैत गेल आ कमे मात्रामे सकारात्मक परिवर्तनसभ भेल । आब यैह थोर–बहुत उपलब्धीकेँ विस्तार कऽ शान्ति, सद्भाव, मेलमिलाप कायम राखए पड़त आ द्वन्द्वक क्रममे अन्याय सहय बाध्य भेलसभकेँ न्याय सुनिश्चित करए पड़त ।
द्वन्दक समयमे महिलासभपर राज्य तथा गैरराज्य दुनु पक्षसँ यौनजन्य हिंसा आ दुव्र्यवहारक अनगिन्ती घटनासभ भेल । एहन घटनासब सर्वसाधारणमे त्रास आ आतंक फैलाबएमे मद्दत कएने छल । (१६)(१७)
अपन काज कऽ रहल, बजार जा रहल, बजारमे किन–बेज कऽ रहल सर्वसाधारण महिलापर सेनाद्वारा पिटपाट तथा हातापाइ भेल घटनासभ बहुत बेसी अछि । द्वन्द्वमे सामेल नहि भेल आ अपन पेशा कऽ बाँचि रहल साधारण जनमानसमे सेहो हरेक पल भय आ संत्राससँ बितल । (१८)
द्वन्द्वको समय धेरै महिलालाई थुनामा राखियो, यातना दिइयो अनि हत्या गरियो । हिरासतमा राखिएका महिलामाथि सुरक्षा फौजले निर्मम यातना दिएको, (२०)
अपन पेशागत धर्म निर्वाह करैत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करबाक लेल विभिन्न स्थानमे गेल स्वास्थ्यकर्मीसभकेँ सुराकीक नाममे राज्य तथा गैरराज्य दुनु पक्षसँ आक्रमण भेल छल । (१९)
बलात्कृत युवतीद्वारा पुलिसमे निवेदन देला पर उल्टे ओकरा अपमान आ अश्लील व्यवहार सहय पड़ल बहुतो घटनासभ भुक्तभोगीक मानसपटलमे अखनो ताजे अछि । (२९)
नेपालक द्वन्द्वमे बहुतो महिलासभ लडाकुक भूमिका निर्वाह कएने अछि, ओहिमेसँ कतेको महिला स्वेच्छासँ लडाकु बनल, कतेको धम्कीक त्राससँ जबरजस्ती प्रवेश कएने बातकेँ निश्चित नहि कएल गेल अछि । (३१)
गोहाली (मालघर)क लगमे दू तरफा भीडन्त भेल समयमे सेहो रजस्वला भेल महिला ओहि गोहाली (मालघर)मे रहबाक लेल बाध्य कएल गेल छल (२४) ।
नहि चाहियो कऽ लडाकुकेँ अपन घरमे खाना खुवाएब वा रहए देबाक लेल बाध्य कएलासँ सेहो महिलासभकेँ कष्ट उठाबए पड़ल अछि । (२२)
अपने आँखिक आगू पतिकेँ गोली मारि कऽ हत्या कएल गेलासँ कतेको महिला बाजय नहि सकल अछि, प्रतिवाद नहि कऽ सकल अछि (२३) ।
छोट बच्चाबच्चीक अभिभारा असगर उठाबउमे ओकरासभकेँ बहुत दिक्कत भेल । (२६)
श्रीमानक अपहरण कऽ, बेपत्ता कऽ वा मारि कऽ ओकरासभक आवाजकेँ मौन रखबाक लेल बाध्य कएल गेल । पतिक हत्याक बेरमे कियो गर्भवती छल, असगरे गर्भक बच्चाकेँ स्याहार कऽ अपन जीवनकेँ आगू बढाएब ओहन महिलासभक लेल अत्यन्त कष्टकर छल । (२१)
ओकरसभक घरकेँ ध्वस्त कएल गेल, सन्तान आ स्यवमकेँ कत्तौकेँ नहि राखल गेल । (२७)
श्रीमान बेपत्ता भेल कारणसँ जमानी नहि देबए सकबाक कारणसँ ओहन महिला ऋणसँ सेहो वञ्चित रहल । (२५)
बहुतो महिलासभ सन्तानसहित लगक शहर या राजधानीदिश विस्थापित भेल । बेपत्ता कएल गेल या मारल गेल पतिक याद ओहि महिलासभकेँ सतबैत रहल । (२८)
विस्थापितक नाबालक सन्तान दोसर गोटेकक घरमे या होटलमे काज करबाक लेल बाध्य छल । आन बच्चाबच्चीसभकेँ स्कूल जाइत देखलासँ ओसभ टकटक्की लगौने रहैत छल । (३०)
आ कहियोकाल महिलासभ अपन अपन सम्बन्धितक अवस्था सार्वजनिक करबाक लेल आवाज सेहो उठबैत छल । (३२)
परिस्थिति महिलाकेँ आत्मनिर्भर बनए प्रेरित करैत अछि । ओसभ अपने कमाएब आ घर व्यवहार चलाएब, बेटाबेटीकँे लालनपालन करब, पढाएब पड़ैत छल । ई जिम्मेवारीसँ एकदिश महिलाकेँ सशक्त बनौलक तऽ दोसरदिश स्वतन्त्र । आन्तरिक द्वन्द्वक समयमे कमो संख्यामे महिलासभ सबल भूमिकाक रूपमे देखार भेल । परम्परागत प्रचलनसभक विरुद्ध विद्रोह करैत ई महिलासभ लडाकुक रूपमे, अधिकारकर्मीक रूपमा, शान्तिकर्मी, सैनिक, पत्रकार, कानून व्यवसायीक रूपमे विविध क्षेत्रमे प्रवेश कऽ महिलाक आवाजकेँ उँच करैत समानताक लेल लड़ाई कएलक । (३३)
आवाजविहीनसभक आवाज बनबाक लेल पत्रकारिता पेशा अपनौने महिलासभ लडाकु महिलाक आवाजक सुनवाईक लेल अन्तर्वार्ता लेलक आ सञ्चार माध्यमसँ ओहि महिलासभक आवाजकेँ प्रसार कएलक । (३४)
द्वन्द्वपीडित महिला र बालबच्चाक लेल सहायता उपलब्ध करएबाक बास्ते महिला संघ–संगठनसभ खुलल आ ओहन संघ–संगठनसभ महिला तथा बालबच्चासभकेँ सहयोग उपलब्ध करौलक, (३५) (३७) (३६) ।
लाल टीका (लाल सेनुर) अभियान सकारात्मक परिवर्तनक एक महत्वपूर्ण उदाहरण अछि, जकर शुरुवात द्वन्द्वेक क्रममे भेल छल । ई अभियान विधवा महिलासभकेँ लाल टीका (लाल सेनुर) आ कपडा पहिरा कऽ ओकरासभक आत्मबलकेँ बढ़एबाक काज कएलक । पतिक मृत्यु बाद लाल नहि पहिरबाक नेपाली परम्परा विधवाकेँ अलक्षण, अपसकुन मानैत अछि । लाल वस्त्र ओहन महिलासभक पहिचानकेँ बदलि देलक आ आत्मबल सुदृढ करबाक काजमे सहयोग कएलक । (३८)
आ सबसँ महत्वपूर्ण बात ई जे, जातीय विभेद सेहो बहुत हदधरि कम भेल । दलित महिलासभ सार्वजनिक धारा, इनारक प्रयोग करए लागल । (३९)
द्वन्द्वक समयमे बहुतो घर रिक्त भेल, परिवार टुटि गेल, समस्यासभ आओर बेसी बढ़ैत गेल आ कमे मात्रामे सकारात्मक परिवर्तनसभ भेल । आब यैह थोर–बहुत उपलब्धीकेँ विस्तार कऽ शान्ति, सद्भाव, मेलमिलाप कायम राखए पड़त आ द्वन्द्वक क्रममे अन्याय सहय बाध्य भेलसभकेँ न्याय सुनिश्चित करए पड़त ।
द्वन्द्व पश्चातक अवस्था
द्वन्द्वक बादक सब प्रकारक असमानता दूर भऽ जाएत, न्याय आ समानता सुनिश्चित हैत से आशा जागल छल । सुन्दर आ सम्भव सेहो... । मुदा शान्ति प्रक्रियामे महिलाक सहभागिता नहि अछि । द्वन्द्वक समाप्तिक बाद बनल सरकारसभमे महिलाक उपस्थिति अत्यन्त न्यून अछि । राजनीतिक तथा सरकारी नेतृत्व द्वन्दोत्तर नीति, योजनासभ तयार करैत अछि मुदा ओहि सम्बन्धी छलफलसभमे महिलाक सहभागिता नहि रहैत अछि तएँ तऽ महिलाक मुद्दा उपेक्षित भेल जाइत अछि । (४०)
सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगसम्बन्धी विधेयक सेहो महिलाकेँ पर्याप्त रूपमे सम्बोधन नहि कएने अछि । (४१)
आधा आकाश, आधा धरती कल जाएबाली महिलाक आवश्यकता, समस्या आ आवाजकेँ नहि समेटएधरि कोनो प्रकारक कानून पूर्ण नहि भऽ सकैत अछि । शान्ति आ विकास सेहो सम्भव नहि अछि । यदि सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोग बनैत अछि आ ओ आयोग महिलाक भूमिकाकेँ जोड दैत ओकरसभक सहभागिताक लेल विभिन्न कार्यक्रम करैत अछि तऽ महिलाक अवस्थामे प्रसस्त सुधार आबि सकैत अछि आ समानता, स्वतन्त्रता तथा सम्मिानत जीवन सुनिश्चित भऽ सकत से विश्वास कएल जा सकैत अछि । सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगक कर्मचारी समुदायमे जा कऽ संक्रमणकालीन न्याय आ महिलासम्बन्धी तालिम देब आवश्यक अछि, (७०)
सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप प्रक्रियामे महिला केना सहभागी भऽ सकैत अछि आ ओकरसभक सक्रिय सहभागिता किएक जरुरी अछि ओहि विषयमे कर्मचारीसभकेँ बुझाएब आवश्यक अछि । एहन तालिम, कार्यक्रममे महिलासभक सक्रिय सहभागिताक लेल सामाजिक वातावरण बनाएब सेहो आवश्यक अछि । द्वन्द्वमे अपनाद्वारा भोगल समस्याक विषयमे बतएबाक लेल सहज आ सुरक्षित महसुस होई से बातकेँ आयोगकक कर्मचारीद्वारा ओहन महिलासभकेँ सुनिश्चितता दियाबए पड़त । महिलाकेँ गोप्य रूपमा बयान देबए मोन भेल तऽ सेहो कएल जा सकैत अछि से बुझाएब पड़त आ ओकरसभक समस्या सुनबाक सहज वातावरण निर्माण करए पड़त । जँ ई भेल तऽ बुहतो महिला पर्दा पाछु बसिकऽ अपन भोगाईसबकेँ वर्णन कऽ सकैत अछि । अहिसँ ओसभ खुलिकऽ अपन मोनक बात रािख सकैत अछि आ समस्या ठीकसँ पहिचान सेहो भऽ सकैत अछि । (७१) (७३) (७४) (७२) (७५) (७६) (८०)
संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रियाक विषयमे महिलासभकेँ बेसीसँ बेसी सूचना तथा जानकारीसभ उपलब्ध कराएब आवश्यक होइत अछि आ जतेक बेसी सूचना तथा जानकारीसभ उपलब्ध कराओल जाएत ओतेक बेसी महिलासभ ओहि प्रक्रियामे सहभागी भऽ अपन समस्या समाधानमे संलग्न होबए सकैत अछि । (७७)
द्वन्दपश्चात सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप प्रक्रियाक सम्बन्धमे अन्य देशसभक अनुभवसँ सेहो नेपालकेँ वर्तमान समस्या हल करएमे सरलता भऽ सकैत अछि । (७८)
सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगसम्बन्धी विधेयक सेहो महिलाकेँ पर्याप्त रूपमे सम्बोधन नहि कएने अछि । (४१)
आधा आकाश, आधा धरती कल जाएबाली महिलाक आवश्यकता, समस्या आ आवाजकेँ नहि समेटएधरि कोनो प्रकारक कानून पूर्ण नहि भऽ सकैत अछि । शान्ति आ विकास सेहो सम्भव नहि अछि । यदि सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोग बनैत अछि आ ओ आयोग महिलाक भूमिकाकेँ जोड दैत ओकरसभक सहभागिताक लेल विभिन्न कार्यक्रम करैत अछि तऽ महिलाक अवस्थामे प्रसस्त सुधार आबि सकैत अछि आ समानता, स्वतन्त्रता तथा सम्मिानत जीवन सुनिश्चित भऽ सकत से विश्वास कएल जा सकैत अछि । सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगक कर्मचारी समुदायमे जा कऽ संक्रमणकालीन न्याय आ महिलासम्बन्धी तालिम देब आवश्यक अछि, (७०)
सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप प्रक्रियामे महिला केना सहभागी भऽ सकैत अछि आ ओकरसभक सक्रिय सहभागिता किएक जरुरी अछि ओहि विषयमे कर्मचारीसभकेँ बुझाएब आवश्यक अछि । एहन तालिम, कार्यक्रममे महिलासभक सक्रिय सहभागिताक लेल सामाजिक वातावरण बनाएब सेहो आवश्यक अछि । द्वन्द्वमे अपनाद्वारा भोगल समस्याक विषयमे बतएबाक लेल सहज आ सुरक्षित महसुस होई से बातकेँ आयोगकक कर्मचारीद्वारा ओहन महिलासभकेँ सुनिश्चितता दियाबए पड़त । महिलाकेँ गोप्य रूपमा बयान देबए मोन भेल तऽ सेहो कएल जा सकैत अछि से बुझाएब पड़त आ ओकरसभक समस्या सुनबाक सहज वातावरण निर्माण करए पड़त । जँ ई भेल तऽ बुहतो महिला पर्दा पाछु बसिकऽ अपन भोगाईसबकेँ वर्णन कऽ सकैत अछि । अहिसँ ओसभ खुलिकऽ अपन मोनक बात रािख सकैत अछि आ समस्या ठीकसँ पहिचान सेहो भऽ सकैत अछि । (७१) (७३) (७४) (७२) (७५) (७६) (८०)
संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रियाक विषयमे महिलासभकेँ बेसीसँ बेसी सूचना तथा जानकारीसभ उपलब्ध कराएब आवश्यक होइत अछि आ जतेक बेसी सूचना तथा जानकारीसभ उपलब्ध कराओल जाएत ओतेक बेसी महिलासभ ओहि प्रक्रियामे सहभागी भऽ अपन समस्या समाधानमे संलग्न होबए सकैत अछि । (७७)
द्वन्दपश्चात सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप प्रक्रियाक सम्बन्धमे अन्य देशसभक अनुभवसँ सेहो नेपालकेँ वर्तमान समस्या हल करएमे सरलता भऽ सकैत अछि । (७८)
तहन नयाँ नेपाल केहन भऽ सकैत अछि ?
महिलासभ न्यायक लेल पुलिस जाएत आ ओकरासभकेँ सम्मानपूर्वक व्यवहार कऽ सहयोग करबाक लेल पुलिस अधिकृत अपन निचला कर्मचारीकेँ निर्देशन दऽ सकैत अछि । पुलिस तथा सैन्य सेवामे बेसीसँ बेसी महिला भर्ती कएल जाएत । तहन सुनवाई (उजुरी) देबए आएल महिलाकेँ सहज महसुस करा कऽ ध्यानपूर्वक ओकर बात सुनि सम्मानपूर्वक व्यवहार कऽ ओकर सुनवाई (उजुरी) दर्ता कएल जाएत । जाहिसँ पुलिस कार्यालयसभमे महिलाकेँ सहयोग भेटत आ सहज महशुस करत । न्याय प्रणालीमे महिलाक बढ़ैत प्रतिनिधित्वसँ महिलासभकेँ सहज महशुस हएत आ न्याय प्राप्त करबाक प्रक्रियामे सेहो सहयोग भेटत । जीवनक विविध पक्षसभमे पँहुचक वृद्धिसंँग महिलासभ सशक्त रूपमे समाजमे, सामाजिक काजसभमे सहभागिता होबऽ सकैत अछि । (८५) (४३) (८२) (४७) (४७) (४२)
तथापि महिलाकेँ अन्य सहयोग सेहो आवश्यक होइत अछि, उदाहरणक लेल मनोसामाजिक परामर्शमे महिलाक पहुँच बढ़ाबए पड़त । महिला तथा पुरुषकेँ मिलिजुलि कऽ जिम्मेवारीसभ निर्वाह करइ पड़त । खाली बालबच्चाकेँ लालनपालन महिलाक जिम्मेवारी नहि होइत अछि । ई जिम्मेवारीकेँ पति–पत्नी दूनु मिलिकऽ पूरा करए पड़त । सब पुरुष अपन पत्निकेँ घरसँ बाहर निकलबाक लेल आ नोकरी करबाक लेल प्रोत्साहन करए पड़त । अहिसँ परिवारक आर्थिक भार सेहो बाँटल जाएत तऽ महिला सेहो बाहिरी संसारकेँ देखत आ अपनाकेँ संघर्षशील बनाएबाक अवसर प्राप्त कऽ सकत । (४४) (६१) (६७) (६२) (६३) (६४)
प्रौढ शिक्षाक बेसी कक्षासभ सञ्चालन भेलासँ बेसीसँ बेसी महिला शिक्षित हएत । महिलासभद्वारा अपने मिलिकऽ सहकारी संस्था तथा आय आर्जनक अन्य कार्यक्रम सञ्चालन कऽ आर्थिक उपार्जन कऽ सकत । द्वन्द्वमे विधवा भऽ साहाराविहीन भेल माएसभ सेहो स्वयम सन्तानक पालन पोषण, पढ़ाइ लिखाइक व्यवस्था करबामे सक्षम भऽ सकत । (७४) (७७) (६५)
शिक्षामे बालिका तथा महिलाक पहुँच बढ़त । जाहिसँ माएबाबुसभकेँ घरायसी काने नहि बेटीक शिक्षा सेहो जरुरी अछि से बातक महशुस होबए लागत । महिलाक आवश्यकताकेँ सम्बोधन करबाक क्रममे हमसभ प्रजनन स्वास्थ्य सेवामे महिलाक पहुँच बढ़एबाक काजसभ कएनाइ आवश्यक अछि । अभियानकर्तासभ, स्वयंसेवकसभ समाज सुधारक कार्यक्रमसभमे सहभागी भऽ सकत । छाउपडी जेहन विभेदपूर्ण प्रथा रोकबाक लेल जनचेतना जगाएब काजमे ओसभ अग्रसर हएत । (६०) (९१) (८४)
तथापि महिलाकेँ अन्य सहयोग सेहो आवश्यक होइत अछि, उदाहरणक लेल मनोसामाजिक परामर्शमे महिलाक पहुँच बढ़ाबए पड़त । महिला तथा पुरुषकेँ मिलिजुलि कऽ जिम्मेवारीसभ निर्वाह करइ पड़त । खाली बालबच्चाकेँ लालनपालन महिलाक जिम्मेवारी नहि होइत अछि । ई जिम्मेवारीकेँ पति–पत्नी दूनु मिलिकऽ पूरा करए पड़त । सब पुरुष अपन पत्निकेँ घरसँ बाहर निकलबाक लेल आ नोकरी करबाक लेल प्रोत्साहन करए पड़त । अहिसँ परिवारक आर्थिक भार सेहो बाँटल जाएत तऽ महिला सेहो बाहिरी संसारकेँ देखत आ अपनाकेँ संघर्षशील बनाएबाक अवसर प्राप्त कऽ सकत । (४४) (६१) (६७) (६२) (६३) (६४)
प्रौढ शिक्षाक बेसी कक्षासभ सञ्चालन भेलासँ बेसीसँ बेसी महिला शिक्षित हएत । महिलासभद्वारा अपने मिलिकऽ सहकारी संस्था तथा आय आर्जनक अन्य कार्यक्रम सञ्चालन कऽ आर्थिक उपार्जन कऽ सकत । द्वन्द्वमे विधवा भऽ साहाराविहीन भेल माएसभ सेहो स्वयम सन्तानक पालन पोषण, पढ़ाइ लिखाइक व्यवस्था करबामे सक्षम भऽ सकत । (७४) (७७) (६५)
शिक्षामे बालिका तथा महिलाक पहुँच बढ़त । जाहिसँ माएबाबुसभकेँ घरायसी काने नहि बेटीक शिक्षा सेहो जरुरी अछि से बातक महशुस होबए लागत । महिलाक आवश्यकताकेँ सम्बोधन करबाक क्रममे हमसभ प्रजनन स्वास्थ्य सेवामे महिलाक पहुँच बढ़एबाक काजसभ कएनाइ आवश्यक अछि । अभियानकर्तासभ, स्वयंसेवकसभ समाज सुधारक कार्यक्रमसभमे सहभागी भऽ सकत । छाउपडी जेहन विभेदपूर्ण प्रथा रोकबाक लेल जनचेतना जगाएब काजमे ओसभ अग्रसर हएत । (६०) (९१) (८४)
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