जिनगीभरि
एकटा ऊहापोह
नै जी सकलौँ,
कहाँ छै आशासब
सबकिछु भ्रम छै १
(१) सागरबीच
काँकोड़क बस्ती छै
समस्याग्रस्त
सागरक थपेडकेँ
झकझोड़ि दैत छै १
(२)
सभटा लोक
होइ छै एक्के रङ्ग
गोर या कारी
भेद नै चिरेलैक
ओहिना छै एखनो । १
(३) शो–केशआगाँ
ठाड़ छैक जिनगी
निलामीलेल
बोली लगैत छै
जिनगी बिकाई छै ।
(४)
कारी छै रङ्ग
झामर छै बुढबा
आब नै जीत
सभक छै ओ बूढ़
ओ ककरो नै अछि १
(५) जल–तरङ्ग
अचानक बढ़लै
समुद्र–ज्वार
हम भसिआ गेलौँ
ओहो भसिआ गेल १
(६)
छिछलि गेलौँ
उपरसँ नीचामे
ओ हँसै छल
हम पुनः चढ़लौं
आब काया हाँसल १
(७) फेर गर्जल
समुद्र धारसब
पुनः प्रलय
साकाङ्क्ष करै अछि
सभकेँ ओ सदति १
(८)
ई त भूख छी
हमरा खाइए ओ
लाल छै मुहँ
शरीरक विद्रोह
आत्मा बजैत अछि १
(९) बुद्धक भूमि
जीसस पुजाइछ
समन्वय छै
त्रि–देव हँसै छथि
सभक छैक स्थान १
(१०)
भेद नै छैक
राम आ रावणमे
नवका लङ्का
बहुत सिखने छै
काल्हिसँ आइधरि १
(११) अमरलत्ती
लपटाएल गाछ
अस्तित्वहीन
लोकसभक भीड़
गुमल परिचय १
(१२)
हँ ! एक बेर
पुनः संगहि चलू
हम जीतब
आहाँ हारि जाएब
इएह नाटक छै १
(१३) बड्ड दूर छी
आर लग आऊ ने
अनन्त इच्छा
भरिमोन जीअव
सँग–सँग जीअव १
(१४)
रङ्गल गाछ
बिजली बरल छै
सब कृत्रिम
परिचय –संस्कार
सबकिछु नकली १
(१५) सोफाक बीच
दबाएल छैक ओ
नवयुगमे
नव आ पुरानमे
जारी छैक सङ्घर्ष १
(१६)
दियरि नीचा
एखनो छै अन्हार
युगक बोध
विचार उएह छै
समाजो उएह छै १
(१७) समुद्रकात
बालु खेलैत लोक
उद्देश्यहीन
आकार बनबैछ
आ ढाहि दैत अछि १
(१८)
अनेको जोडी
समुद्रदिसि ठाड़
तकैत अछि
जिनगीक बहाना
नहि भेटैत छैक १
(१९) ई छी नेगोम्बो
लङ्काक एक बस्ती
बैसल अछि
पर्यटक खोजीमे
समुद्र साक्षी अछि १
(२०)
एकटा बाला
खेलाइए समुद्र
तृप्त छै पानि
यौवनक स्पर्शसँ
मुस्किआएल अछि ।
(२१) जलक बीच
अठखेल करैछ
मातल रूप
धोखा छैक यौवन
ढहबे करत ई ।
(२२)
किछु भऽ जेतै
सुनामीक प्रवृत्ति
ई सङ्केत छै
ई समय–चक्र छै
किछु भक सकैत छै १
(२३) अप्पन मोन
हम किछु करब
अनियन्त्रित
हम समुद्रे तक छी
केम्हरो बहि जेबै १
(२४)
बड़ भेलैक
बात बन्दो तक करू
काज अछिए
सूर्य गेल पश्चिम
अन्हार पसरत १
(२५) टूटल हाथ
साबुत अछि पैर
हम चलब
रुकब नहि हम
चलबेटा करब १
(२६)
हँ ! हमही छी
चिन्हि लिअ हमरा
अप्पन देश
परिचय तकै अछि
हमर लोक वेद १
(२७) नक्सा नै छै
लुटिगेल छै चीर
नग्न शरीर
उठि जाऊ सपूत
मुी कसि कक उठू १
(२८)
अस्थिपञ्जर
माटिसँ उखड़लै
ओ जीविते छै
बजै छै शब्द–शब्द
हँसै छै भित्त चित्र १
(२९) बाजि उठल
टेलिफोनक घन्टी
एकसूरसँ
हम नहि सुनब
सुनबो किए करू ?
(३०)
सुनि पड़ैछ
भरिगाम नढ़िया
नढ़िया–लोक
चहुँदिसि अशान्त
बौक छैक सभ्यता १
(३१) वाद आ वाद
नौटङ्की जारी अछि
भ्रमक खेती
पड़ाइत सपना
अपसयाँत लोक १
(३२)
जन्मैते क्षण
मरिजाइत अछि
आजुक लोक
लास चलैत अछि
लोकक मुखौटामे १
(३३) गनै छी हम
अप्पन दिनसब
जे जीवि गेलौँ
जीवाक दिनसब
आब बाँकी नै छैक १
(३४)
हम्मर जीत
लोक जरैत अछि
तील–तील भक
ओकर जीत नहि
हम तक हँसिते छी १
(३५) जिम्मेवारी छै
सृजन करबाक
ध्वंशक बीच
सब सुड्डाह छैक
हम अधैर्य नै छी १
(३६)
प्रेम–प्रपात
सृष्टिक छै आधार
चलू जीवि ली
कनेक काल आहाँ
कनेक काल हम १
(३७) सब बन्द छै
सहर द्वारसब
बन्दे रहतै
औनाइ अछि लोक
औनाइछ सभ्यता १
(३८)
बड्ड गन्दा छै
राजनीतिक खेल
लोक हारैए
जीतैत अछि सत्ता
मरैत अछि सत्य ।
(३९) यौ विद्यापति
फेर चलि आऊ ने
मिथिलाधाम
बन्धक अछि भाषा
कनै अछि मैथिली १
(४०)
सत्ताक लोक
सत्यानाश होउक
शासन जीवै
मुदा जीअत कोना ?
सत्तामे तक घुन छै १
(४१) हे यै प्रेयषी
हियासँ हिया जोड़ि
सृष्टि बढाबी
एहिना चलि एलै
काल्हिसँ आइधरि १
(४२)
बहै वसात
वर्षैत छै फुहार
मन प्रफुल्ल
लटा बनल मेघ
सिञ्चित अछि धारा १
(४३) निन्न नै भेल
भरिराति जागल
आँखि छै लाल
ज्वाला भऽ धधकत
अतृप्त इच्छासब १
(४४)
बड्ड बेजाए
लगै छैन हुनका
नवका चीज
परम्परा उघैत
जीवन कटिगेल १
(४५) पेपरवेट
गुड़कैए ओहिना
उद्देश्यहीन
टेबुलक जीवन
पेन्डिङमें राखल १
(४६)
सगरमाथा
कारी भऽ गेल अछि
हिम बहैए
हम किए कानब
सभकेओ चूप छै १
(४७) अनुपमेय
हुनक रूप–रङ्ग
बेजोड़ अछि
ओ सुरभित काया
हम नदी बहै छी १
(४८)
उजाड़ गाछ
बिनुपतझडेÞमे
खसैत पात
लोक बनल गाछ
ढहै छैक प्रकृति १
(४९) कि कि भऽ गेल
जीवैत छी जीवन
अपनाबीच
बड्ड याद अबै छी
ई कटैए जीवन १
(५०)
राजाक घर
एत्त छै कहाँदन
कोनो भेद नै
जक सब राजा छै
रङ्ककेँ के ताकत ?
(५१) ओहने घर
ओहने रूप–रङ्ग
एके विचार
समाजक ई चित्र
अपना ठाम नै छै १
(५२)
हँसए ओस्लो
दरबारक टीला
ओहो हँसैए
चहँुदिसि छै लोक
कोनो पावनिजकाँ १
(५३) चारिटा मास
चारिटा जीवन छै
उमङ्ग एक
गाछक हरियरी
सूर्य नहाए लोक १
(५४)
बर्फक दिन
बर्फक ओ कल्पना
बर्फ– जीवन
मोन पड़ितेदेरी
सिहरैछ ई लोक १
(५५) उत्तरी ध्रुव
पृथ्वीक एक छोर
ई जीवन छै
ओत्तै तऽ छै दक्षीण
लोक कत्तौ जाइए १
(५६)
आश्चर्य बात
सूर्यास्त नै होइ छै
दिन–राति छै
अपनामोताबिक
लोक बँटने अछि १
(५७) बड्ड लग छै
सूर्यक ई आभाष
मुीमे कैद
खिड़की ओहिपार
मुस्किआइए सूर्य १
(५८)
पैघ व्यग्रता
रातुक छै प्रतीक्षा
दिने–दिन छै
पर्दा टाँगि दियौक
राति आबि जाएत १
(५९) हम ठाढ़ छी
खुजल छै खिड़की
हवाक झोँका
मुँहमे भरिगेल
गामक अनुभूति १
(६०)
ई विवाह छै
एक नव सम्झौता
नव–सम्बन्ध
एत्तऽ सीमित नै छै
विवाह–नरनारी १
(६१) कोनो रोक नै
कोनो अवरोध नै
लोककेँ चाही
मानवअधिकार
हम मोनसँ जीव १
(६२)
बड्ड दूर छै
बाल्टिकक ई व्योम
पसरल छै
पुरातन सभ्यता
लोककेँ सिखबैछ १
(६३) घड़ीक सुई
निर्धारण करैछ
दिन आ राति
प्रकृति फरक छै
सूर्योदय–अस्तक १
(६४)
चिड़ै– आवाज
दरवार–जङ्गल
सुनि पड़ै छै
समाजक स्वीकृति
सभकेओ सुनैए १
(६५) नर्वे–आकाश
रौदाएल छै दिन
हँसैए सभ
पुलकित छै मौन
सड़क–लोके–लोक १
(६६)
बहाना चाही
कोनो उमङ्गलए
आई रौद छै
दिनमे ‘पब’ चली
आ फेर रभसब १
(६७) हम बाजब
बाजऽ लेल बाजब
ओ किछु कहै
हमर अधिकार
हम लेबे करब १
(६८)
ओे दूटा नर
ओत्तऽ छै दूटा नारी
कोना कि कही
ओ किछु भक सकैए
व्यर्थक अनुमान १
(६९) हम खुशी छी
पति–पत्नी नाम छै
हम भावना
बहै छी–जीवैत छी
एक्केठाम रहब १
(७०)
के कहै त छै
सूर्यास्त होइत छै
मात्र भ्रम छै
सूर्योदयो नै सत्य
आ नैै सूर्यास्त सत्य १
(७१) पृथ्वीउपर
एकदम उपर
पसरल छै
धप–धप उज्जर
पृथ्वीपर चद्दरि १
(७२)
सृष्टिक रूप
अनेक होइत छै
अनेक रूप
सृष्टिउपर सृष्टि
सृष्टिक नीचा सृष्टि १
(७३) पहाड़ नै छै
हिमालयो नहि छै
मात्र छै पानि
सूर्य कत्तक जाएत
चन्द्रो तक नहि छैक १
(७४)
लोकक भीड़
उजाड़ हड़बड़ी
सभ्य नाटक
नाटक– पात्र लोक
लोक मञ्चित सत्य १
(७५) एक कल्पना
समुद्रपर यात्रा
पानिए पानि
कोना कऽ कि थाहब
भरिहाथ छै बालु १
(७६)
करिया मेघ
बढैÞत अबैत छै
गज–चालिमे
लैछ बाहुपाशमे
आकाश बर्सै अछि १
(७७) आकाश–मेघ
खेलैछ चोरा–नुक्की
फुदकै अछि
मेघ टुकड़ीसब
सूर्य हँसैत अछि १
(७८)
जीवनभोग
अनुपम बोध छै
सृष्टि– सुन्दर
सिञ्चित हुए पृथ्वी
मन जुडाइत छै १
(७९) एक जिनगी
लोक एत्तऽ जीवैछ
एक चिनगी
लोक ओत्त जरैछ
चिनगी चिनगी छै १
(८०)
देवाल घड़ी
घण्ट बजा उठल
हम जगलाँैं
ओ तक सुतले छथि
हम फेर सुतलौँ १
(८१) स्नान करैछ
वागमती जलमे
नवयौवना
जवानी देखाइछ
प्रदूषणमे फूल १
(८२)
जरैछ लास
जीवन इहलीला
अन्त होइछ
जीवाधरि सङ्घर्ष
मृत्यु तऽ मुक्ति छैक १
(८३) धँुंवा उठैछ
धू धू कक जरै अछि
मृत्युक आगि
धुँवा उठि खसैछ
जिनगी मिझाइछ १
(८४)
मिलि जाइछ
वागमतीमे अस्थि
जत्तऽ बहैछ
छाउर दहाइछ
शून्य तकैछ आँखि १
(८५) एकाकार भऽ
धुँवा–लपट्टाबीच
अन्तिम सत्य
प्रमाणित करैछ
मृत्यु शास्वत अछि १
(८६)
वर्षात एलै
फेर भेलै आक्रान्त
जीवनसभ
एहिना जीवैत छै
दहाइत बहै छै १
(८७) चलू चलै छी
जीवन ओहिपार
दोसर जीवन
जँ भेटत तक जीव
नहि तक घुरि एबै १
(८८)
हे यै चन्द्रमा
किए खौंझबैत छी
दागल मुँह
आहाँसँ नीक अछि
हम्मर ओ चन्द्रमा १
(८९) सर्पक दंश
टीस मारैत अछि
चढैÞए देह
सुलगैए शरीर
आबि कक मिझा दिअ १
(९०)
झाँपल देह
खुजल छैक मोन
अल्लढ़सन
चढैÞत छै उन्माद
झमा कक खसैत छै १
(९१) केराक थाम
सम्हारि कऽ राखब
दीप बारब
एक जीवन जीव
अनन्त यात्राधरि १
(९२)
सन्दर्भसब
एहिना जन्मैत छै
बिड़रोसब
एहिना बहैत छै
ई सृष्टि साक्षी अछि १
(९३) घोकचल छै
बिछौनाक चद्दरि
भिजल छैक
पर्तदर पर्त भक
सिनेहक फूहार १
(९४)
अबैत अछि
खुजल खिड़कीसँ
स्नेहील स्पर्श
हम छुबैत छियै
ओ बिहुँसैत छथि १
(९५) उनटै छैक
जीवन पन्नासब
लेभड़ाएल
विकृत थप्पासब
अर्थहीन अक्षर १
(९६)
टाँगल छैक
घरक भीतपर
विजय–माला
आई खौंझबैत छै
पराजीत जीवन १
(९७) झुठ बजै छी
हम आई अपने
झूठे कहै छी
जीवन सुन्दर छै
ओकर निष्कर्ष छै १
(९८)
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