Saturday, August 24, 2013

Gonu Jha k Katha



पुत्रक नामाकरण

एकसमयक बात अछि । एकराति चारिटा चोर गोनुक घरक भित फोडि भितर पैसिगेल छल । गोनु बाबु ओछाओनपर ओहिना पडल छलाह । निन्द नहि आबिरहल छलनि । चोरसभकेँ भितर पसिते गोनुकेँ भनक पडिगेलनि जे केओ भितर पैसल अछि । गोनुपत्नी सेहो सँगे ओछाओनेपर छलीह । मुदा ओ नहि बुझि सकलीह जे चोरसभ घरभितर पैसिगेल अछि । गोनु घरमे चोर होबाक बात पत्नीकेँ नहि कहलनि, उल्टे पत्नीसँ प्रेमालाप करऽ लगलाह । ओम्हर चोरसभ कौखन गोनुदम्पत्तिकेँ निन्द हएत आ सबकिछुपर हात साफ करब से सोचैत एक कोनमे दुबकल छल ।

गप्प करैतकरैत गोनुपत्नीकेँ कने निन्द लागिगेलनि । हुनकर आँखि झँपाए लागल छलनि । गोनु पत्नीकेँ झकझोडैत पुछकलखिन–सुति रहलौ कि ?

गोनुपत्नी सहज जवाफ घुरौलनि–नहि, कि बात से ?

गोनु बजलाह–आइ दरवारमे एक ज्योतिष आएल छलाह । हुनकासँ भेट भेल । हात देखिकऽ लोकक भविष्य बतेबामे तँ हुनका महारथे हासिल छनि । हमहुँ हात देखेर्लौ । अपनासभक मविष्यक बारेमे सेहो ओ किछु कहने छथि ।

पत्नी पुछलखिन–ओ कि कि कहला ?

गोनु स्वयं आ पत्नीदिसि संकेत करैत बजलाह–अपनासभकेँ चारिटा पुत्र हएत कहाँदन ।

पत्नी कने रभसक श्वरमे बजलीह–कहबालेल हुनका आनकिछु नहि भेटलनि कि ? ओतेरास बेटा लऽ कऽ कि करब ?

किए, आहाँकेँ बेटाक इच्छा नहि अछि कि ? हम तँ चारिटा बेटाक नामो सोचिलेने छी –गोनु बाबु कने गर्वानुभूतिसँ बजलाह ।

धुत, कनेओ लाज नहि होइए ? सुतू आब । ज्योतिषके कहिते बेटा भऽ  जाइत छै से ?–पत्नी व्यग्ंयपूर्ण शैलीमे जवाफ घुरौलीह । मुदा गोनु तँ खास योजनाकेँ कार्यान्वयनक सोचमे छलाह । अखने केना हुनका निन्द हेतनि ?

ओ बातकेँ निरन्तरता दैत बजलाह–पहिने बेटासभक नाम तँ सुनू ।

गोनुपत्नी एहिबेर किछु नहि बजलीह ।

गोनुकेँ ई उपयुक्त मौका बुझि पडलनि । ओ सुनाबऽ  लगलाह–लिअऽ सुनू । हम अप्पन जेठ बेटाक नाम राखब–लुटन । मझिलाक नाम हएत–भूखन । सँझिलाक नाम रखबैक–छोटन, एते कहि ओ कने विलमि गेलाह ।

पत्नीक जिज्ञासा बढिगेलनि । ओ पुछि बैसलीह–आ छाोटकाक नाम कि रखबैक ?

गोनु बजलाह–चोर ।

पत्नी कने आक्रोशित होइत प्रतिवादक शैलीमे बजलीह–आदमीक नाम सेहो कहिँ चोर होइत छै ?

आनक नहि ने होउक । हमरा कोन मतलब । हम तँ अप्पन बेटाक नाम चोरे राखब–गोनुक दृढ जवाफ छल ।

जे मोन हएत से करब । आहाँसन महान लोक एहि धरतीपर आन कहाँ केओ छै ?–पत्नीक श्वर आब कने कडा छलनि । ओ एते कहि दोसरदिसि घुमि गेलीह ।

गोनु खुसामदक शैलीमे पत्नीके अपनादिसि तनैत बजलाह–कने सुनि तऽ लिअ हमर बात । हमसभ पाँच बाप–बेटा रहब । कहिओकाल हमरा या आहाँकेँ कोनो काज पडत आ ओसभ जँ बाहर हएत तँ अपनासभ आँगनेसँ बजाएब–हौ लुटन, हौ भूखन, हौ छाोटन, चोरऽऽऽऽऽ हौ.......। गोनु अप्पन श्वरकेँ आर तीव्र बनबऽ लगलाह आ जोडजोडसँ चिचिआए लगलाह– हौ लुटन, हौ भूखन, हौ छोटन, चोरऽऽऽऽऽ हौ.......।

गोनुक ई विचित्र व्यवहार देखि गोनुपत्नी हाँसऽ लगलीह । एतबएमे गोनुक चिचिआएब सुनि हुनकर पडोसीसभ आबि गोनुक घरक केबाड ढकढकाबऽ लगलथि । गोनु ओछाओनपरसँ उठि चट्ट दऽ केबाड खोलि बाहर पहुँचिगेलाह ।  । बाहर पडोसी आ आन गौवाँक उपस्थिति छल । सभक हातमे लाठी । सभ एकहिबेर पुछलक–कहाँ अछि चोर ?

गोनु सभकेँ घरक भितर लऽगेलाह आ एकटा कोन देखबैत बजलाह–हे ओत्तऽ अछि चोर । गौवाँसभ गोनुक देखाओल कोनपर पहुँचैत छथि तऽ ठीके ओत्तऽ चारिटा चोर बैसल छल । गौवाँसभ चोरकेँ पकडि खुब मारि मारिलनि । गोनु बाबु तखन पत्नीसँ चौल करैतकाल बेटासभक नाम जे रखने छलाह असलमे ओ तीनु नाम हुनकर पडोसीसभक छल । वास्तवमे ओ अप्पन तीनु पडाोसीकेँ सम्बोधन करैत चोर होबाक बातक जानकारी दऽ रहल छलाह । गोनुपत्नीकेँ आब जा कऽ गोनुक तखनक चौलक रहस्य बुझबामे एलनि । ओ मनेमन सोचिरहल छलीह–ठीके गोनु महान छथि ।   

  

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