शहीदक सपना आ मधेशीक भूमिका
नेपालक संविधान लिखबाक दिन क्रमशः लगचियारहल अछि । जँ कोनो विध्नवाधा उपस्थित नहि होउक तँ करिव डेढ मासक समय बाँकी छैक जाहिक भितर संविधान लिखा जेबाक वाध्यकारी अवस्था छैक । सर्वोच्च अदालतक लगातारक आदेश आब संविधानसभाक अवधि बढेबाक अनुमति नहि दैत छैक । मुदा प्रश्न फेरो उएह उठैत छैक जे कि निर्धारित अवधिमे संविधान लिखाएत ? एहिमे विविध स्तरपर शंका उपशंका व्यक्त भऽ रहल अछि जकरा अस्वाभाविक नहि मानल जेवाक चाही । संविधान लिखाएत या नहि से बात तऽ महत्वपूर्ण अछिए । एकरासँगहि संविधान केहन लिखाएत आ केहन लिखल जेबाक चाही से बात बेसी महत्वपूर्ण अछि । ०६२÷०६३ क जन–आन्दोलन आ तकरबादक लगातारक मधेशक दू टा आन्दोलनक मूल्य, मान्यता आ मर्म संविधानलेखनक अन्र्तवस्तु होबाक चाही । एहिबातमे शंका नहि । उपर चर्चा कएल गेल आन्दोलसबहक सम्बन्ध नेपालक नागरिक अधिकार, जात–जातिक परिचय, समानुपातिक विकास आ अवसर, आम जनताधरि संघीय लोकतन्त्रक अनुभूति आ परिवर्तनक संस्थागत सम्वद्र्धन आदिसँ अछि । एहिमेसँ कोनोटा विषय जँ संविधानक अन्तर्वस्तु नहि बनिसकत तँ ओहन संविधान सर्वस्वीकार्य भऽ सकत ताहि बातमे शंका अछि । संविधानमे इएह आ एहने विषय–वस्तु समावेश भऽ सकए आ नेपालक सभ जनताक सहभागिताक आधारपर समतामूलक समाजक निर्माण भऽ सकए सएह आकांक्षा आ विश्वासक आधारपर नेपालक बहुतो सपूतसभ बलिदानी देलाह । आजुक दिनमे ओ सपूत शहीदसभ हमरासभक बीच नहि छथि मुदा हुनकालोकनिक विचार आ दर्शन हमरासभक बीच अछि । आई एकटा बड महत्वपूर्ण प्रश्न हमरासभक सोझाँ ठाढ अछि, शहीदसभ जे अपन भावी पुस्ताक कल्याणवास्ते अपन जीवनक आहुति देलनि हुनकसभक प्रतिएँ हमरासभक कर्तव्य कि होबाक चाही आ हुनकालोकनिकेँ केना सम्मान कएल जेबाक चाही ?
पछिला दिनमे जँ विचार कएल जाए तँ शहीद शव्दक अवमूल्यन कएल जा रहल अछि । हुनकासभक योगदानक अनदेखी कएल जा रहल अछि । आ, ई सब काजक लेल हम आहाँ सभकेओ कोनो ने कोनोरुपेँ जिम्मेबार छी । ई बात सभकेँ स्वीकार करहि पडत । सन्दर्भ एकबेर फेरो संविधाने लेखनक । नवका लिखल जा रहल संविधानमे नेपालक सभ जात–जाति, संस्कृति, क्षेत्र आ भूगोलक भावनाक प्रकटीकरण होबाक चाही । स्वाभाविकरुपेँ मधेशक भावनाक प्रतिनिधित्वक बात महत्वपूर्ण अछि । मधेश आ मधेशवासीक अधिकार आ पहिचानक खातिर मधेशमे संघर्षक एक पूरान परम्परा अछि । ०६३ आ ०६४ क मधेश आन्दोलन एहि संघर्षक उत्कर्ष अछि । नेपालक राजनीतिक इतिहासक सन्दर्भमे जँ मधेशक योगदानक चर्चा नहि कएल जाए तँ ओ इतिहास पूर्णता नहि प्राप्त कऽ सकैत अछि । बहुतो मधेशपूत अधिकार, पहिचान आ स्वतन्त्रताक आन्दोलनमे योगदान दैत अपन जीवन अर्पण कऽ शहादत प्रदान केलनि । मधेश आन्दोलनक क्रममे आधा सओसँ बेसी मधेशपुत शहादत देलनि । ई श्रृंखलाक प्रारम्भ नहि अछि । एहिसँ पहिने सेहो दुर्गानन्द झा, कामेश्वर–कुशेश्वर, डा. एलएन झा, शाकेतचन्द्र मिश्रसन अनेको मधेशपुत आन्दोलनक एहि क्रमकेँ निरन्तरता प्रदान करैत शहादत देबाक बात ककरोसँ नुकाएल नहि अछि । निश्चित रुपसँ ई सभ महामना मधेशक जनताकेँ वास्तविकरुपेँ सम्प्रभुसम्पन्न बनेबाक लेल विविध विचार आ नेतृत्वक आन्दोलनमे सहभागी होइत अपनाकेँ समाहित केलाह । ई विषय महत्वपूर्ण अछि । आई ओहि सबप्रकारक योगदान आ वलिदानकेँ संस्थागत करबाक समय आएल अछि । आई नेपालक संविधान लिखल जा रहल अछि आ निश्चितरुपेँे ई संविधानमे मधेशक सबप्रकारक भावनाक प्रकटीकरण हएब मधेशक अभीष्ट अछि । मधेशपुत शहीदक सपना छल, मधेशवासीकेँ वैधानिकरुपेँ सामनता, सहभागिता आ अधिकार भेटौक । आई उएह सपना पूरा करबाक अभिभारा वर्तमान पुस्तपर अछि । हमरालोकनि शहीदक सपना साकार कऽ सकैत छी तँ शहीदक प्रतिएँ सबसँ पैघ सम्मान सएह हएत ।
सत्य कडू होइत छैक आ तीत सेहो । आई शहीदक सपना साकार करबाक बातकेँ राजनीतिक स्वार्थसँ जोडल जा रहल छैक । शहीदक सपनासबकेँ भजेबाक काज भऽ रहल अछि । निश्चितरुपेँ ई बात कडू आ तीत लागत । मुदा सत्य इएह छैक । जे राजनीतिक दल मधेशकेन्द्रीत नहि अछि ओकरासबहक लेल मधेश, मधेशी आ मधेशक शहीद सम्भवतः आत्मीय नहि भऽ सकैत अछि । ओसब एहिसब बातसँ निकटताक सम्बन्ध स्थापित नहि कऽ सकैत अछि । ई बात अस्वाभाविक सेहो नहि अछि । मुदा जे राजनीतिक दल अपनाकेँ मधेशकेन्द्रीत आ मधेशवादीक रुपमे दावी करैत अछि ओहन दलक नेताक कर्तव्य मधेश स्वार्थअनुकूल नहि हएव दुःखक बात अछि । आई मधेशकेन्द्रीत नेतासभ अपन दलीय स्वार्थसँ वशिभूत भऽ शहीदकेँ अपनाअनुकूल बनेबाक धृष्टता कऽ रहल छथि आ शहीदकेँ कोनो एक खास वर्ग, पक्ष, समूह, जाति आ वादमे बन्हवाक प्रयास कऽ रहल छथि । ई बात अशोभनीय अछि । आई शहीदक सपनाअनुरुपक मधेशक निर्माणक प्रयत्न होबाक चाहैत छलैक मुदा से नहि भऽ शहीदकेँ मात्र सत्ता प्राप्तिक सिडही बनेबाक प्रयत्न होइत देखल जा रहल अछि । शहीद घोषणासँ लऽ कऽ शहीदस्मृति स्तम्भ बनेबाधरिक बातमे भऽ रहल छिनाझपटी इएह बातक प्रमाण अछि । आई मधेश शहीदक योगदानक बले मधेशी नेतासभ सत्ताक सुख भोगिरहहल छथि मुदा शहीद आ शहीद परिवारकेँ राज्यसँ सम्मान प्रदान करबाक बातमे कोताही भेल देखल जा रहल अछि । शहीद परिवाार आई सडकक वास आ दाना–दानाक मोहताज होबाक लेल बाध्य अछि । हमसभ सामान्यरुपेँ सम्पन्न होबऽबला काजसब सेहो नहि कऽ पाविरहल छी । एहनमे प्रश्न उठैत अछि शहीदक सपना साकार करैत मधेशवासीक अधिकार सुनिश्चित करवाक अभिभारा हमरालोकनि कोना निर्वाह कऽ सकैत छी ? अखनो विलम्व नहि भेल अछि, सभकेओ मिलि कऽ जिम्मेबारीक बोध कऽ दायित्व निर्वहनक प्रयास करी तँ उपलब्धि प्राप्त कएल जा सकैत अछि आ इएह बात शहीदप्रति वास्तविक सम्मान हएत । शहीदलोकनि वल प्रदान करथु ।
सम्पादकीय (अप्पन मिथिला २०६८ वैशाख)
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