Saturday, August 24, 2013

Maithili-Politics

विकल्पहीन चुनाव


आगामी अगहन चारिगतेक लेल संविधानसभाक दोसर निर्वाचनक तिथि घोषित अछि । चारिदलीय राजनीतिक उच्च संयन्त्रक सल्लाह आ सिफारिसक आधारपर सरकार ई तिथि घोषित केने अछि, ई ककरोसँ छपित नहि अछि । जँ एकरा आधार मानल जाए तँ आब निर्वाचनक लेल तीन महिनासँ सेहो कम समय बाँकी छैक । अधिकांश राजनीतिक दलसब निर्वाचनक तयारीमे जुटल देखल जा सकैत अछि । ई सन्तोषक विषय अअछि ।  उपेन्द्र यादवक नेतृत्वमे रहल मोर्चापर्यन्त आब चुनावक पक्षमे आविगेलाक बाद जनस्तरमे सनैःसनः निर्वाचनक वातावरण बनैत देखल जा रहल अछि । ई तँ एकटा अवस्था अछि जकरा निर्वाचनक पक्षपातीक दृष्टिएँ सकारात्मक मानल जेबाक चाही । एकटा दोसर अवस्था सेहो अछि । मोहन वैद्य नेतृत्वक नेकपा–माआोवादी आ एहि पार्टीक नेतृत्वममे बनल गठबन्धन चुनावक विपक्षमे अछि । ई गठबन्धन स्पष्टतः चुनावक विरेध तऽ नहि कऽ रहल अछि । मुदा प्रत्येक क्षण नव–नव शर्त आगु आनि स्वयं चुनावविरोधी हेबाक बात स्पष्ट कऽ रहल अछि । चुनाव लोकतन्त्रक मेरुदण्ड अछि  चुनावक माध्यमसँ जनताकेँ अप्पन प्रतिनिधि चयन करबाक अवसर तँ प्राप्त होइते छैक दोसरदिसि राजनीतिक दलसबकेँ अप्पन एजेण्डा जनताद्वारा अनुमोदन करेबाक अवसरि सेहो प्राप्त होइत अछि । जकर एजेण्डा जनतासँ स्वीकार होइत छैक ओकरा शासन करबाक अधिकार प्राप्त होइत छैक । मुदा वर्तमानमे किछु शक्ति जनताक प्रतिनिधि चयन करबाक आ दलकेँ अनुमोदन करबाक एहि लोकतान्त्रिक अधिकारकेँ चुनौती देबाक प्रयास कऽ रहल अछि । एकरा किमार्थ उचित नहि मानल जा सकैत अछि ।  

निर्वाचनमे समर्थन आ विरोध होइत रहैत छैक । इ कोनो नव बात नहि अछि । मुदा एहन विरोध आ समर्थन मुद्दापर आधाारित होबाक अपेक्षा कएल जाइत छैक । एतऽ स्थिति कने दोसरतरहक छैक । एखुनका विरोध चुनावी मुद्दासँ सम्बन्धित नहि अछि । माओवादी किएक चुनावक विरोध कऽ रहल छैक ई बात बहुतोकेँ अस्पष्ट बुझाइत हेतनि । मुदा ई बात ओतेक अस्पष्ट नहि अछि जते लगैत छैक ।  माओवादी एहिबहाने अप्पन वैचारिक धारणाका पृष्ठपोषण चाहैत अछि । ई निश्चित अछि जे ओकर वैचारिक धारणा एकदलीय आ अधिनायकवादी सोचकेँ प्रतिनिधित्व करैत अछि । जँ एहन नहि रहितैक तँ अगहनमे चुनाव हएत तँ पूर्ण समानुपातिक आ चैतमे चुनाव हएत तँ मिश्रित प्रणलीमे स्वीकार करबसन प्रस्ताव माओवादीद्वारा नहि अबैत । जँ एकरा सत्य मानल जाए तँ एतऽ वैचारिक अडान कतऽ ताकल जाए । एकरा मात्र रस्तापर रोडा अटकेबाक अर्थात चुनाव नहि होबऽ देबाक प्रपञ्चक रुपमे बुझबाक चाही ।  एकरा माओवादी रणनीतिक रुपमे स्वीकार कएल जाए तँ ई स्पष्टतः नेपाली राजनीतिकेँ वैचारिक धारक आधारपर स्पष्टतः वामपंथी आ लोकतन्त्रवादी दू धारमे विभाजित करबाक प्रयासक रुपमे लेल जाए तँ असंगत नहि हएत । लोकतन्त्रप्रति विश्वास रखनिहार नेपालक राजनीतिक दलसबकेँ एहिप्रति गम्भीर हएब आवश्यक अछि । एकटा बात निश्चित अछि जे माओवादी एमाओवादी लोकतन्त्रपर विश्वास नहि करैत अछि । ई सैद्धान्तिक सत्य अछि । ओसभ मुहँसँ किछु कहओ मुदा अभीष्ट जनतापर वामपंथी अधिनायकवाद थोपबाके छैक । विगतमे इएह सैद्दान्तिक बात नहि बुझल जा सकलासँ किछु समस्या उत्पन्न भेल बात ककरोसँ नुकाएल नहि अछि । एखुनका मूल बात कहिआ चुनाव हएत से नहि अछि मूल बात तँ आब एहि देशमे चुनाव हएत कि नहि से अछि । पछिला किछु दिनसँ माओवादीक जे रवैया देखबामे अविरहल छैक ताहि आधारपर निर्धारित तिथिपर चुनाव हएत कि नहि ताहि बातपर शंका उत्पन्न करबाक परिस्थति जन्मल अछि । दलसबकेँ बुझल हेतनि कि नहि से तँ नहि कहि मुदा एते निश्चित अछि जे जँ माओवादीक आग्रह स्वीकार कऽ निर्वाचनक घोषित तिथिकेँ संशोधन कएल जाइए तँ काल्हि फेर नव शर्त नहि आएत से केना कहल जा सकैत अछि ? एतबए नहि चुनावक तिथि अगहनक बाद बढाओल जाइत अछि तँ तत्पश्चातक अवस्थामे एहि सरकारक वैधानिकतापर प्रश्न नहि उठाओल जाएत ताहि बातक प्रत्याभूति केना हएत आ के करत ?

लोकतन्त्रमे चुनावक विकल्प चुनावे होइत अछि । चुनावविनाक लोकतन्त्रक कल्पनोधरि नहि कएल जा सकैत अछि । एहनमे जँ कोनो शक्ति चुनावक विरोध करैत अछि तँ ई बुझबामे भांगठ नहि होबाक चाही जे ओ शक्ति लोकतन्त्रपर विश्वास नहि करैत अछि । सरकार आ निर्वाचन आयोग एखन चुनावक तयारीमे जुटल अछि ई सन्तोषक बात अछि ।  जनतामे चुनावप्रति उत्साह देखल जा रहल अछि । ताहि बातक प्रमाण मतदाता नामावलीमे समावेश होबाक लेल जनताद्वारा देखाओल गेल तत्परता अछि । एहिबातसबहक सम्मान कएल जेबाक चाही । लोकतन्त्र एहन शासनशैली अछि जाहिमे सब प्रकारक वैचारिक शक्तिकेँ जनताक बीच जा कऽ अपन परीक्षण करेबाक अवसर प्राप्त होइत छैक । ई अवसर माओवादीके सेहो प्राप्त छैक । हँ एकटा बात महत्वपूर्ण अछि, लोकतन्त्रमे अन्तिम अवस्थाधरि कोनो शक्तिकेँ अस्वीकार करैत निर्वाचनसँ अलग रखबाक प्रयास नहि कएल जेबाक चाही । मुदा एकटा शक्तिकेँ अन्तिमधरि समावेश करबाक नामपर जनता आ देशकेँ अनिर्णयक बन्दी बनेबाक प्रयास जँ कएल जाइत अछि तँ ओकरो स्वीकार करब कतेक उचित अछि ताहिबातक निणर््ाय दलसबकेँ यथाशीघ्र करबाक चाही । जनता कोन शक्तिपर विश्वास करैत अछि ताहिबातक आँकलनक आधार सेहो चुनावे अछि । तखन चुनासँ परहेज किए ? एहिबातक मर्मकेँ स्वीकार करैत दलसब आगामी दिनक लेल चुनावक दृष्टिएँ सार्थक निर्णय करबालेल उत्प्रेरित हएब आवश्यक अछि ।     

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