दोसर संविधानसभा आ सभासदक भूमिका
निर्वाचन सम्पन्न भऽ दोसर संविधानसभाक गठन सेहो भऽ चुकल अछि । इएह संविधानसभा पहिलुकेजकाँ संसदक हैसियतमे सेहो काज करत । बितलाहा अगहनक चारि गते देशभरि एकहिबेर प्रत्यक्ष निर्वाचनक माध्यमसँ एहि सर्वोच्च विधायिकामे प्रतिनिधित्व करबाहेतु दू सओ चालीस स्थानक लेल प्रत्यक्ष निर्वाचन सम्पन्न भेल । संविधानसभाक गठन प्रक्रियाकेँ जँ देखल जाए तँ एहिमे तीन तरहक प्रक्रियाक माध्यमसँ प्रतिनिधित्व कराओल जाइत अछि । पहिल माध्यम प्रत्यक्ष निर्वाचन अछि । दोसर माध्यम समानुपातिक प्रतिनिधित्व अछि । एकर संख्या तीन सओ ३५ अछि । एकरो पद विभाजन भऽ चुकल अछि । आ दनु प्रक्रियाक माध्यमसँ भेल प्रतिनिधित्वक परिणाम सबकेँ ज्ञात अछि । एहि सर्वोच्च विधायिकामे प्रतिनिधित्वक लेल मन्त्रिपरिषदद्वारा राष्ट्रिय जनजीवनमे ख्यातिप्राप्त आ संविधानसभामे प्रतिनिधित्व नहि भऽ सकल जनजाति आ आदिवासीसभसँ २६ गोटेकेँ मानेनित करबाक प्रावधान अछि । प्रतिनिधित्वक लेल ई तेसर माध्यम अछि । एहिहिसाबेँ देखल जाए तँ मन्त्रिपरिषदसँ एखनधरि ककरो मनोनयन नहि भेल हेबाक कारणे संविधानसभा एखनधरि पूर्णता नहि पओलक अछि । मुदा, दुर्भाग्ये कहल जाए, पूर्णता नहि पओलाक बादो संविधानसभा आ संसदक बैठक बैसि चुकल अछि । एतबए नहि कार्य (विजनेस) सेहो प्रारम्भ कऽ चुकल अछि । एकरा विडम्बने कहबाक चाही ।
देशभरि संघीयताक माग उठिरहल वर्तमान सन्दर्भमे गठित ई दोसर संविधानसभाक महत्व अत्यन्त बेसी अछि । मधेशक वासिन्दा आ आदिवासी जनजातिलगायत वर्षाेसँ उपेक्षित आ उत्पीडित नागरिकक पहिचान आ अधिकार सुनिश्चित करबाहेतु ई सभाक उपस्थितिकेँ अत्यन्त महत्वपूर्ण मानल गेल अछि । वास्तवमे कही तँ उएह पहिचान आ अधिकारक प्रत्याभूतिक श्वरक प्रकटीकरणक रुपमे ई सभाक गठनकेँ लेल जेबाक चाही । लेल गेल अछि । इतिहास साक्षी अछि, विगतक मधेश आन्दोलन ई सभाक गठनक औचित्यक मार्ग प्रशस्त करबामे सबसँ अधिक भूमिका निर्वाह केलक । ई सत्य अछि, ई कहब सर्वथा उचित हएत । मधेशक अधिकार सुनिश्चितताक माग करैत एतहुका वासिन्दा आन्दोलन केलनि । । आन्दोलनक इएह पृष्ठभूमिक आलोकमे संविधान सभाक पहिल निर्वाचन सम्पन्न भेल । आ एकरे सिढी बना किछुगोटेकेँ सत्ताधरि पहुँचबामे सफलता प्राप्त भेलनि । मधेश, निर्वाचनक माध्यमसँ मुख्य राजनीतिक शक्तिक रुपमे स्थापित भेल । विगतक इतिहास साक्षी अछि, मुदा ई शक्तिक प्रयोग जाहिरुपे मधेश कल्याणहेतु होबाक चाहैत छलैक । से नहि भऽ पओलैक । मधेश शक्तिक माध्यमसँ सत्तानिकट पहुँचल राजनीतिकर्मीद्वारा ई शक्तिकँे सत्ताप्राप्तिक दलालीक माध्यम बनाओल गेल । संविधानसभा जाहि उद्देश्यक लेल गठन भेल छल से पूरा नहि भऽ सकल । पहिल संविधानसभा भंग भेल । यद्यपि ई सभा भंग होबाक लेल आन राजनीतिक शक्तिसब मुख्य जिम्मेबार अछि । मुदा एक कटु यथार्थ इहो स्वीकार करऽ पडत जे एकरालेल मधेशक नेता आ राजनीतिक दलसब सेहो कम जिम्मेबार नहि अछि । पहिल संविधानसभामे मुलतः तीन टा राजनीतिक दलके मधेश जनादेश देने बात ककरोसँ छपित नहि अछि । मुदा ई दोसर क्रुर सत्य अछि जे पहिल संविधानसभाक भंगक समय अबैतअबैत ई तीन दल तेरहमे विभक्त भऽ गेल । कारण एकहि टा छल, सत्ताप्राप्तिक लौल । ई दलसबहक विभाजनक आधार नीतिगत आ सैद्धान्तिक नहि छल । फलतः मधेशमे ई राजनीतिक दलसब क्रमशः अलोकप्रीय होइत गेल आ मधेशक वासिन्दाबीच निराशा बढैत गेल । एहिबातक जनमत प्रकटीकरण संविधानसभाक दोसर निर्वाचनक माध्यमसँ भेलैक । एकरे परिणाम अछि, कल्हुका दिनमे मधेशमे अस्वीकृत राजनीतिक दलसबकेँ एहिबेर मुडी उठेबाक निक अवसरि प्राप्त भेलैक आ स्वीकृत राजनीतिक शक्तिक आगाँ पश्चाताप बोध करबाक अतिरिक्त आन कोनो विकल्प नहि बाँकी रहलैक । ई बात मधेशकेन्द्रीत दलसबकेँ बुझहिटा पडतैक । बोध करहि पडतैक । परिणाम सबहक सोझाँ छैक, मधेशकेन्द्रित राजनीतिक दलसबकेँ संविधानसभाक दोसर निर्वाचनक सन्दर्भमे अपेक्षित सफलता नहि भेटलैक । एकरा स्थानीय जनताक असन्तुष्टि व्यक्तक रुपमे बुझबाक चाही । प्रतिशतक आधारमे मतप्राप्तिक विश्लेषण कएल जाए तँ निराश होबाक अवस्था तँ नहि छैक मुदा स्थानक आधारपर विश्लेषण कएल जाए तँ संख्या थोड अछि । ई असन्तोषक बात अछि । आ विशिष्टीकृत रुपमे विश्लेषण कएल जाए तँ एकर मुल कारण अछि, स्वयंबीच स्वयंसँ प्रतिस्पर्धा । मधेशमे बहुतो एहन निर्वाचन क्षेत्र अछि जतऽ मधेशी दलकेँ स्वयं मधेशी दलसँ प्रतिस्पर्धा करऽ पडलैक । टूटफूटक स्पष्ट परिणाम छल ई । मधेशक दलपर मुद्दा विसर्जनक आरोप सेहो लगलैक । निर्वाचन अबैतअबैत एक मधेशक माग विभिन्न चीरामे विभक्त भऽ चुकल छल । पहिचान आ विकासक मुद्दा स्थापित करबामे सेहो ई दलसब असमर्थ रहल बात निर्वाचनक समयमे उठल छल । मधेश आन्दोलनक शहीद आ शहीद परिवारक अवहेलनाक सन्दर्भमे सेहो दलसब किछु कहबामे असक्षम छल । ई कोनो बातक स्पष्ट उत्तर देबामे ई दलसब असमर्थ पाओल गेल आ फलतः चुनावी प्रदर्शन कमजोर रहल ।
उपरुका विश्लेषणक आलोकमे कहल जा सकैत अछि जे बहुत राश एहन बात अछि जकर उत्तर मधेशक जनताक लेल अपेक्षित अछि । एतबए नहि मधेशक नेता आ दलसबकेँ सेहो अपन कार्यशैली परिवर्तनक सन्देश निर्वाचन देलक अछि । मुदा निर्वाचनक बादो कार्यशैलीमे परिवर्तनक संकेत नहि देखल जाएबला बात दुखद अछि । खास कऽ समानुपातिक प्रतिनिधि चयनक सन्दर्भमे बन्दरबाँटक जे शैली अपनाओल गेल आ जातीय, आर्थिक आ पारिवारिक जालपोलक फैलावट देखल गेल ताहिसँ मधेशक जनता फेर एकबेर मर्माहत होबाक अवस्था उत्पन्न भेल अछि । फेर एकबेर बुझारहल अछि दलसबद्वारा मधेशक मुद्दा विसर्जनक तैयारी भऽ रहल होइक । देखल जेबाक चाही तेसर प्रक्रियाक सन्दर्भमे हिनाकलोकनिक भूमिका केहन होइत अछि । मधेशक माग जातीय सन्दर्भसँ नहि जोडाइत अछि । ई तँ एक उन्नत परम्परा आ उदात्त परिचयक द्योतक थिक । मधेशक वस्तुस्थिति, इतिहास, सभ्यता, संस्कृति आ सामाजिक संरचना तथा विश्वासक सम्बन्धमे अल्प जानकारी रहल व्यक्तिकेँ मधेशक पहिचानक बात नव लागि सकैत अछि मुदा स्वयंमे ई बात नव नहि अछि । एकर लम्बा पृष्ठभूमि छैक । खास कऽ मधेशी दल आ नेतृत्वकेँ ई बात निकजकाँ बोध होबाक चाही । बोध हएब एहिद्वारे सेहो आवश्यक जे हिनकालोकनिकेँ कल्हुका दिनमे विधायिकामे तदनुकुलक भूमिका निर्वाह करबाक छन्हि । मधेश आन्दोलनक क्रममे बहुतो सपूतद्वारा शहादत प्रदान कएल गेल बात ककरोलेल अविश्स्मृत नहि होबाक चाही । दल आ नेतागणसँ उपेक्षाक अनुभूतिक बादो मधेशक जनताद्वारा मधेशी दल आ नेतसबपर एकबेर फेर विश्वास कएल गेल बात स्तुत्य अछि । एहुबेर सेहो मधेशी दलसबहक माध्यमसँ पचाससँ अधिक संख्यामे सर्वोच्च विधायिकामे प्रतिनिधित्व भेल अछि । आन दलक संख्या जँ जोडल जाए तँ ई संख्या सओसँ अधिक अछि । ई संख्याकेँ कमजोर नहि मानल जेबाक चाही । जँ ई प्रतिनिधिसब मधेशप्रतिक अप्पनअप्पन दायित्वकेँ स्मरण करैत भूमिका निर्वाह करथि तँ सभा हिल सकैत अछि आ मधेशकेँ यथोचित सम्मान भेटबामे कोनो कसरि नहि बाँकी रहि सकैत अछि ।
No comments:
Post a Comment