Sunday, August 25, 2013

गोनु झाक कथा


  

    पत्नीप्रेम





धर्मेन्द्र विह्वल
एकबेरक बात अछि । गोनुकेँ पत्नीक मोनक बात बुझबाक विचार भेलनि । ओ  मोन चोरेबाक उद्देश्यसँ पत्नीकेँ पुछलखिन–प्रिय, व्यस्तताक कारण आहाँक इच्छासब पूरा नहि भऽ पाबिरहल अछि । हम आहाँकेँ पर्याप्त समय सेहो नहि दऽ पाबिरहल छी । ओ चापलुसीक श्वरमे पत्नीकेँ सम्बोधन करैत बजलाह–आहाँकेँ किछु इच्छा अछि तँ कहू, हम पूरा करबाक प्रयास करब ।
गोनुक बात सुनि पहिने तँ पत्नीकेँ बड आश्चर्य भेलनि । मुदा बादमे ओ स्वयंकँे सम्हारलनि । ओ पतिक बातमे कोनो चातुर्य निहीत होबाक सम्भावना देखलनि । ओ प्रत्यक्षतः बजलीह–आर तँ किछु इच्छा नहि अछि, मुदा........। ओ बातकेँ पुरा नहि कऽ बीचहिमे छोडि देलनि ।
हँ हँ कहू, कोनो संकोचक बात नहि अछि । बाजू, हम अखने पूरा कऽ देब–पत्नीक आधा बातक जवाफ दैत गोनु बजलाह ।
छोडू, नहि कहब । हमर इच्छा अखन नहि पूरा भऽ सकैए–पत्नी कने रभसक श्वरमे बजलीह ।
गोनु कने फूर्ति झाडैत बाजऽ लगलाह–आहाँ बाजु मात्र, हम केहनो असम्भव बात पूरा कऽ कऽ देखा देब । एहिबेर गोनु पत्नीकेँ सेहो पतिक परीक्षा लेबाक विचार भेलनि । एतबए नहि, गोनुक जिद्दक आगाँ केओ नहि टिकि सकैए से बात गोनुपत्नीकेँ छोडि आर के बुझि सकैत छल ? ओ बजलीह–हमरा आई माछ खेबाक मोन भऽ रहल अछि ।
पत्नी कि कि ने कहती से सोचिरहल गोनुकेँ पत्नीक इच्छा बड मामुली बुझेलनि । ओ माछ अनबाक उद्देश्यसँ तत्काल बाहर निकललाह । अबेर भऽ चुकल छल । मछहट्टी बन्द भऽ चुकल होबाक कारणे माछ भेटब सम्भव नहि छल । पत्नीकेँ देल गेल अश्वासन आ अपनाद्वारा झाडल गेल फूर्ति गोनुकेँ आब मोन पडऽ लगलनि । आब खाली हात केना घर जाएब ? ओ बडा भारी संकटमे पडिगेल छलाह ।
गोनु चोट्टहि घर लौटि जाएब सेहो उचित नहि बुझलनि आ आब कतऽ गेल जाए सेहो निर्णय नहि कऽ सकलाह । एतबहिमे हुनका अपन पडोसी परमेश्वर मोन पडलनि । वृद्ध परमेश्वर विमार छल । गोनु परमेश्वरकेँ देखबाहेतु अखनधरि नहि गेल छलाह । अचानक गोनुक मुहँसँ बहरेलनि–वेचारा परमेश्वर निक लोक छल.........। वाक्यो नहि पूरा भऽ पाएल छल कि अचानक एक व्यक्ति गोनुक पँजरामे ढाकी फेँकि पिताजी पिताजी कहि चिचिआए लागल आ हवोडबार भऽ कनैत आगामुहेँ दौगऽ लागल । बादमे गोनु चिन्हलनि–ओ परमेश्वरक बालक घोघना छल । ओ घोघनाकेँ बजौलनि, मुदा गोनुक बात नहि सुनि घोघना गामदिसि दौडऽ लगल । गोनुक बात सुनि घोघनकेँ लगलैक जे ओकर बाबुक मृत्यु भऽ गेल अछि । घोघना ओनाकऽ जे ढाकी फेँकि दौडल छल ताहिबातक पश्चाताप गोनुकेँ छलनि । मुदा आब भइए कि सकैत छल । घोघना तँ ओतऽ सँ निपत्ता जे भऽ चुकल छल ।
गोनु सोचलनि, घर जेबाक बदला ई ढाकी परमेश्वरक घर दऽ आबी । ओ ढाकीदिसि बढलाह । आश्चर्य, ढाकीमे तँ माछ छल । हुनक आँखिमे स्पष्टतः खुसी देखल जा सकैत छल । निचामे खसल सब माछ उठाकऽ गोनु ढाकीमे रखलनि आ ढाकी उघि अपन घरदिसि विदा भेलाह ।
ढाकीमे माछ अनैत गोनुकेँ देखि गोनुपत्नी बड खुसी छलीह । हुनकर खुसीक कोनो सीमा नहि छल । हुनका बुझेलनि जे ठीके पति हुनका बड मानैत छथिन । पत्नी जल्दी–जल्दी माछ बनौलनि । पतिकेँ भोजनक लेल बजौलनि । भोजनलग आबि गोनु पत्नीकेँ कहलनि–एकटा वर्तनमे कने माछ राखि दिऔक । परमेश्वर विमार छथि । कहिओ फुर्सदि नहि भेल जे एकबेर देखिओ अबियैक । परमेश्वरकेँ माछ बड निक लगैत छनि । आई कने हुनको माछ खुआ दियनि । ओ फेर बजलाह–आई पहिने हुनकँे माछ खुआएब तखन अपने खाएब । ओ बजैत जा रहल छलाह–मोनमे आबिगेल तँ बात पूरा कइए दी । हुनका खुऔने अपने खाएब तँ पाप लागत ।
ई बात सुनि गोनु पत्नीकेँ कने वेजाएसेहो लगलनि । हुनका बुझेलनि जे गोनु हुनकासँ बेसी परमेश्वरकेँ मोजर दऽ रहल छथिन । तथापि, पतिक आदेशक ओ अक्षरशः अनुशरण केलनि । एकटा वर्तनमे कने माछ आ झोर राखि पतिक हातमे थमौलनि । दुनु दम्पति माछ लऽ परमेश्वरक घर गेलथि ।
परमेश्वरक घरमे शून्यता पसरल छल । केओ किछु नहि बाजिरहल छल । सभक आँखि देखलासँ बुझाइत छल जे आँखिसबसँ वेश नोर बहल अछि । गोनु मौनता भंग करैत घोघनसँ सम्बोधित होइत बजलाह– घोघन, परमेश्वरकेँ केहन छनि ? तखन बाटमे हम ओते बजौलियह, मुदा उनटि कऽ तकबो नहि केलह, दौडऽ लगलह ।
घोघन किछु नहि बाजल । गोनुक प्रति घोघनक परिवारक रोष स्पष्ट अनुभव कएल जा सकैत छल । गोनु परमेश्वरक लग जा कऽ बजलाह–परमेश्वर, हम तँ आहाँकेँ देखऽलेल आबिए नहि सकलौं । आई घोघनाक कारणे एतऽ आएव सम्भव भऽ सकल । लिअ ई माछ । माछक गरम–गरम झोर सानि भात खाऊ । घोघनक परिवारकेँ आब बात बुझबामे कोनो भांगठ नहि रहिगेल छलैक । कनेकाल विलमि गोनु सपत्नी ओतऽसँ विदा भऽ गेलाह । रातुक अन्हरियामे सेहो गोनुक मुहँक मुस्की अनुभव कएल जा सकैत छल । पत्नीकेँ कने आश्चर्य तँ भेलनि मुदा किछु पुछि नहि सकलीह । घर जा भोजनपर बैसलाक बाद गोनुपत्नी कने साहस बटोरि पतिसँ पुछलनि–परमेश्वर विमार छथि, आहाँ माछ दऽ एलियनि । आहाँक मुहापर मुस्की नाचिरहल अछि । आखिर बात कि अछि ?
गोनु कऽर मुहँदिसि लऽ जाइत बजलाह– माछ बड स्वादिष्ट बनल अछि । अहुँ खाऊ । रहल मुस्कीक बात, तँ सब मुस्कीक रहस्य आहाँ नहि ने बुझबै ।
पत्नी चूप भऽ गेलीह ।  


















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