हमैथिली वाल कविता
हमसब छी एकहि
गोलु मोलु बच्चा–बुच्ची, ई दुनिया बड्ड अजुवा ।
माटिसँ बेसी पानि भरल, अजगुत बड्ड यो बौवा ।।
गोर–कारी लोक अनेक, खुनक रंग छै एकहि ।
लाल खुन बहए सबमे, बुझू बात आहाँ चोटहि ।।
लोकेटा नहि आनो प्राणी, भरल पडल छै एतऽ ।
सबहक बात सबकेओ बुझबै, मिलि हमसब रहबै एतऽ ।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, ई धर्मक नाम अनेक ।
अल्लाह, ईश्वर, नानक, जिसस, छै सबहक मतलब एक ।।
विदेश घुमबै देश बनेबै २
पढबै लिखबै बनेबै देश, कहिओकाल घुमऽ जेबै विदेश ।
विदेश जेबै घुमबै फिरबै, देखि–सुनिकऽ एबै देश ।।
जापान चीन अमेरिका घुमबै, नीक चिज एतऽ अनबै ।
पेरिस लन्डन जर्मन जेबै, विकासक बात हम बुझेबै ।।
पडोसमे जाएब भारत घुमब, झोरा भरिकऽ सनेस आनब ।
चोर उचक्कासँ बचिकऽ रहब, अपन सुरक्षा अपने जानब ।।
कोरिया कतार मलेसिया जाएब, नीकनिकुत हम ओतऽ खाएब ।
अरब कुवेत हमसेहो जेबै, बड्ड गर्मीमे बचिकऽ रहबै ।।
देशक कथा सुनू ३
ई छै हमर देश नेपाल, एकर कथा सुनू ।
सुनू सुनू सुनू भैया, दिदी आहाँ सबगोटे सुनू ।।
जानकी छै, एहि देशक बेटी से बात सुनू ।
काका काकी ई देशक कथा आहाँ सबगोटे सुनू ।।
उच्च हिमालयके कोरामे रहै छी से बात सुुनू ।
दादा दादी ई देशक कथा आहाँ सबगोटे सुनू ।।
कमला आ वलान बहै छै से बात सुनू ।
नाना नानी ई देशक कथा आहाँ सबगोटे सुनू ।।
सबसँ बढियाँ सबसँ सुन्दर ४
सबसँ बढियाँ सबसँ सुन्दर इएह हमर ठाम यौ ।
नेपालमे छै मिथिला, मिथिलामे छै हमर गाम यौ ।।
हमर केरा हमर सरिफा हमरे अँत्ता आम यौ ।
नेपालमे छै मिथिला, मिथिलामे छै हमर गाम यौ ।।
हमर दाहा हमर झण्डा हमरे सब सरजाम यौ ।
नेपालमे छै मिथिला, मिथिलामे छै हमर गाम यौ ।।
हमर तोता हमर मैना हमरे रहीम–राम यौ ।
नेपालमे छै मिथिला, मिथिलामे छै हमर गाम यौ ।।
बढए सबके मान–सम्मान ५
हिमाली पहाडी आ मधेशी केओ नहि छै आन ।
काज एहन करी जे बढए सबके मान–सम्मान ।।
पूव–पश्चिम उत्तर–दक्षीण पसरए चहुँदिसि शान ।
काज एहन करी जे बढए सबके मान–सम्मान ।।
मेची–काली सौंसे पसरल ई हमर देश महान ।
काज एहन करी जे बढए सबके मान–सम्मान ।।
नेपालीसब मिलि कऽ रही ककरो नहि जाए जान ।
काज एहन करी जे बढए सबके मान–सम्मान ।।
कनियाँ –पुतरा ६
कतेक सुन्नरि हम्मर कनियाँ, नाकमे हिनकर झुलनि नथनियाँँ ।
पहिरिकऽ ललका नूआ देखू, सासुर चललीह नवकी कनियाँँ ।।
कनियाँ बैसलीह जा महफापर, चलल कहरिया बरक घर ।
संगमे बहुतो छैक सनेस, खाजा, मुङबा, अहिबक फर ।।
केश बान्हिकऽ कएलनि काजर, डाँडमे झटपट खाँेसलनि आँचर ।
वर–कनिया मिलि सम्हारथि, घर अङना चौरी चाँचर ।।
केहन रहैए साफ आ सुथरा, हमरासबहक कनियाँ–पुतरा ।
आबै सभकेओ मिलिकऽ खेली, पलटु, सुनीता, मोहन, धुथरा ।।
सञ्चार ७
सुनू सुनू यौ बाबु भैया, सुनियौ हमर बात ।
सुनियौ जनियौ गमियौ, आब ई कम्प्यूटरक बात ।।
धुरा गर्दा खेलब छोडू, गुनु बुझु सञ्चार यौ ।
गुल्ली डण्डा धन्धा छोडू, आब पढू अखवार यौ ।।
सारा विश्व बन्हल छै, बुझू ई इन्टरनेटक डोरीमे ।
कथा कविता खिस्सा पिहानी, सब छै एकरे झोरीमे ।।
छोडू अमेरिका चाइना भारत, आब सब छै एकहि ठाम ।
बड अछि अजगुत बात ई विश्व बनल एक ग्राम ।।
रुनु–झुनु ८
केश खोकरी चोटी बान्ही, विन्दी सजए हमर ।
रुनु–झुनु रुनु–झुन,ु पायल बाजए हमर ।।
धुरा गन्दा नहि खेलेब,ै साफ रखबै डघर ।
रुनु–झुनु रुनु–झुनु पायल बाजए हमर ।।
नवका कपडा हम पहिरबै, फेंकबै पुरना जम्फर ।
रुनु–झुनु रुनु–झुनु, पायल बाजए हमर ।।
किताब लेबै पेन्सिल लेब,ै सँगमे रखबै कटर ।
रुनु–झुनु रुनु–झुनु, पायल बाजए हमर ।।